भोपाल।पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को जलाने के मुद्दे पर एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए, भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के चार संगठनों के नेताओं ने सरकार से पर्यावरणीय क्षति से बचने के लिए एक कानूनी रास्ता सुझाया । उन्होंने दस्तावेज़ साझा किए जो बताते हैं, कि दिसंबर 2024 में, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल संरक्षण अधिनियम, 1974 के कई उल्लंघनों के लिए पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह पूछा गया है किया है, कि क्यों उनके खिलाफ दंडनीय अपराध की कार्यवाही ना की जाए। दस्तावेज ये भी दिखाते है कि जो यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे के दहन के दौरान अत्यधिक मात्रा में डीजल जलने और उसके बाद उत्पन्न होने वाली खतरनाक राख की अत्यधिक मात्रा को उजागर करती है। पीथमपुर और आस-पास के क्षेत्रों के निवासियों की वाजिब चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, संगठनों ने सरकार को खतरनाक कचरे को संयुक्त राज्य अमेरिका भेजने की व्यवस्था करने की सलाह दी, जैसा कि 2003 में तमिलनाडु के कोडाइकनाल में यूनिलीवर थर्मामीटर संयंत्र से कचरे के साथ किया गया था। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और गोल्डमैन पुरस्कार से सम्मानित रशीदा बी ने कहा, सरकारी दस्तावेजों से पता चलता है, कि जब 2015 में यूनियन कार्बाइड से 10 टन खतरनाक कचरा जलाया गया था, तो लगभग 80 हजार लीटर डीजल का उपयोग किया गया था। यह 2010-2012 तक किसी अन्य स्रोत से खतरनाक कचरे के लिए उपयोग किए गए डीजल से 30 गुना अधिक था। अत्यधिक मात्रा में डीजल जलाने से न केवल गंभीर प्रदूषण होगा, बल्कि इसके वजह से भस्मक से निकलनेवाली धुएँ में खतरनाक  डाइऑक्सिन और फ्यूरन्स के स्तर की सही जानकारी नहीं मिल पाएगी। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी एक दस्तावेज़ के हवाले से, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, “यह दस्तावेज़ स्पष्ट करता है कि पीथमपुर के संयन्त्र में यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को जलाने से 900 टन से अधिक राख बनने की गुंजाइश है। इस राख में भारी मात्रा में भारी धातुएं होंगी जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। पीथमपुर संयन्त्र के संचालकों ने अपने लैंडफिल में मोटी पन्नियों के ज़रिए  राख की इस इस भारी मात्रा को सुरक्षित करने की योजना बनाई है। इस बात की पूरी आशंका है, कि इन भारी धातुओं के कारण संयन्त्र  के आसपास भूजल में ज़हरीला प्रदूषण हो सकता है। उन्होंने बताया कि पीथमपुर बचाओ समिति की हालिया भूजल जाँच रिपोर्ट में डाइक्लोरोबेजीन और ट्राइक्लोरोबेंजीन जैसे ज़हरीले रसायनों की उपस्थिति बताई गयी है और यही दोनों  रसायन भोपाल के प्रदूषित भूजल में भी पाए गए हैं। भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेज पेश करते हुए कहा, “मध्य प्रदेश  प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल निवारण अधिनियम, 1974 के उल्लंघन के लिए पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट के संचालकों को कारण बताओ नोटिस दिया है, जिससे पता चलता है, कि लैंडफिल से रिसाव पहले से ही सुविधा के आसपास के भूजल को दूषित कर रहा था।  यह काबिलेगौर है कि अगस्त और दिसंबर 2024 की ये रिपोर्टें यह बताती हैं, कि संयन्त्र में स्टॉर्म ड्रेन, सम्प और सर्कुलेटरी सिस्टम  जैसी वैधानिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव है। यह एक तथ्य है कि पीथमपुर का संयन्त्र यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन के लिए तैयार है या नहीं इस पर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से अंतिम रिपोर्ट आज तक अनुपलब्ध है। यह बात इस मुद्दे पर निर्णय लेने वाले माननीय न्यायाधीशों के विशेष ध्यान  में लाना चाहिए। भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को अमेरिका भेजने की जोरदार वकालत की। “2003 में तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यूनिलीवर को अपने लगभग 300 टन खतरनाक कचरे को कोडाइकनाल से न्यूयॉर्क ले जाने के लिए मजबूर किया था। इस कचरे को एक क्लोज़्ड  लूप संयंत्र  में सुरक्षित रूप से निपटाया गया। पीथमपुर में स्लो मोशन भोपाल बनाने के बजाय, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तमिलनाडु के बोर्ड द्वारा स्थापित मिसाल का पालन क्यों नहीं करता है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा किअगर अमेरिकी सरकार हमारे नागरिकों को बेड़ियों में जकड़ कर वापस भेज सकती है, तो क्या हमारी सरकार कानूनी रूप से वैध रास्ता अपनाकर यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा अमेरिका नहीं भेज सकती?।